
साध्वी बहु हिंदी कहानी / भक्तिनी बहु
Sadhvi Bahu Ki kahani – एक गांव में बबली नाम की एक औरत रहती थी। बबली हमेशा इस्वर का नाम जपा करती थी वह जोर – जोर से चिल्लाती चीखती और भगवान के करीब होने का नाटक करती अरे कहती अरे बहु कहा है जल्दी से पूजा की थाली लेकर आ कृष्ण खुद आये है कह रहे है की उन्हे लड्डू खाना है जल्दी आ ,बहु कहती है -अरे माँ लेकिन अभी न सुबह ह न शाम तो आपको पूजा क्यों करनी है ,बबली कहती पूजा का कोई समय नहीं होता तू अच्छी है खुद कृष्ण आये है लड्डू खाने ,शिखाया नहीं तेरी माँ ने की जब इस्वर बुलाये तो चले जाओ हे कृष्णा मैं आ गयी। उसकी बहु राधा बहुत परेशां थी उसे समझ नहीं आ रहा की अपनी सासु माँ का पाखंड कैसे दूर करे ,की अचानक से उसे एक आईडिया आता है और वह कहती है – हे कृष्णा हरे मुरारी इस्वर भक्ति में ही सकती है …
जय श्री कृष्णा। राधा भागुए रंग में गले में रुद्राक्ष की माला हाथ में तानपुरा पूरी मीरा के भेष में सास के पास आती है। सास देखती है तो राधा से पूछती है अरे क्या हुआ राधा ये क्या भेष बना रखी है ,राधा बोली राधा तो मैं नाम की हुई माँ कृष्ण तो मेरे हुए ही नहीं मीरा बन मैं कृष्ण को प् लुंगी ,तभी वहा राधा का पति आ जाता है जो उसके नाटक में उसका साथी होता है , वह बोला अरे माँ पता नहीं सुबह से क्यों बहकी बहकी बातें कर रही है मैं सुबह से इसे समझा रहा हु की भक्ति करने के लिए न ही तो दिखावे की जरुरत है और न ही २४ घंटे भजन कीर्तन की ,बबली रोहित की बात समझ तो रही होती है लेकिन हामी कैसे भरे क्युकी वो भी तो यही करती है। तभी राधा बोलती है अरे मुर्ख इस्वर जब बुलाये तब जाना ही पड़ता है कृष्णा मैं आ रही हु यह कह कर घर से बहार निकल जाती है और बहार एक पेड़ के निचे बने चबूतरे पर बैठ जाती है राधा के साथ गांव की कुछ और औरते आकर बैठ जाती है और वे औरते राधा के सामने फल लाकर रखती है और कहती है …

राधा के ऊपर साक्षात् मीरा आयी है बोलो राधा की जय। राधा कहती है – इस्वर कहता है की अपनी चिंताओं को उस पर छोड़ दो आप केवल कर्म करो फल अच्छा होगा ,गांव की औरते कहती है अरे वह कितनी गहराई की बात कही है राधा ने ,सही तो कह रही है हमें अपना करम करना चाहिए जो होगा ऊपर वाले की इच्छा से ही होगा और फिर सभी बोलते है राधा की जय ,राधा की जय। राधा कहती है अरे मूर्खो मैं राधा नहीं मीरा हु मीरा तभी वहा घर का सारा काम कर राधा की सास आती है। राधा की सास से गांव की एक औरत कहती है अरे बबली बहन तुम्हारी भक्तिी तो ऊपर वाले ने सुन ली तुम्हारी बहु तो साक्षात् मीरा का रूप निकली। बबली बोली अरे नाटक कर रही रही तुम लोग समझते क्यों नहीं हो तभी राधा बोली अरे सासु माँ आप कब आयी अच्छा मैं घर आराम करने जा रही हु आप आयी गयी है तो ये दान दक्षिणा उठा कर घर ले आना ये कह कर राधा वह से चली जाती है बबली ढेर सारा फल की टोकरी उठा कर घर आ जाती है। …
अब रोज राधा मीरा के रूप में घर से बहार जाती और गांव की औरतो को खूब ज्ञान और उपदेश देती लोग उसकी जयकारा करते और खूब सारा दान दक्षिणा देते। एक दिन राधा के घर में कुछ लोग खड़े होते है और उनसे मीरा कहती है अरे आज तो बहुत खाश दिन है मीरा से खुद मिलने कृष्ण आने वाले है तभी वह पर उसकी सास बबली आती है और कहती है अरे पागल हो गयी हो क्या घोर कलयुग है कलयुग अच्छे करम करलो वही बहुत है कोई भगवान इनसे मिलने नहीं आने वाले है , अरे मीरा बाई ने खुद कहा है की कृष्ण हमसे मिलने आएंगे हम भी कृष्ण के दर्शन करके ही जायेंगे ,बबली कहती अरे कोई कृष्ण नहीं आएंगे और न ही उसे कोई भगवान आवाज देते है वो झूठ बोल रही है तुम लोग भी न जाने क्यों उस पाखंडी के कहने में आ जाती हो। तभी वहा राधा आ जाती है और कहती – हरे कृष्णा हरे कृष्णा अरे माँ आप को भी तो कृष्ण बुलाते थे आप से भी तो वो मिलने आते थे तो क्या मुझसे मिलने नहीं आएंगे क्यों भला। बबली बोली अरे झूठ बोलती थी मैं कोई भगवान नहीं बुलाते थे मुझे सब नाटक था मेरा खुद को जायदा भक्ति मय दिखाने का भाई मैं तो समझ गई भक्ति उतनी ही अच्छी लगती है जब तक वह दिखावा न लगे। राधा बोली बस सासु माँ मैं भी यही आपको समझाना चाहती थी भक्ति भक्ति की तरह करे दिखावे के तरह नहीं फिर वो जोर से कहती है बोलो सच्चे दरबार की जय।
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